Swagat Nanda poems
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बन्द हूँ कलम में श्याहि की तरह कुछ व्यक्त करूँ तो मुक्त बनूँ फिर भी बंधन से छूट कहाँ कलम छोड़ काग़ज़ से बंधूँ बन्धन तो बस सोच में हे हूँ कलम में तो सम्भावना हूँ हूँ काग़ज़ पे तो अभिब्यक्ति बनूँ

Ho nirbhay man ki baat kahe

पिता या माता की अपनी संतान से क्या अपेक्षाएँ होती हैं उसी संधर्भ में लिखी गयी यह कविता ।

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वक्त का तक़ाज़ा

जीवन में सबको सब कुछ नेही मिलता। फिर भी जीवन को जीना होता हे । क्यूँ और केसे उसी संदर्भ में यह रचना।

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E zindagi tujhe jike bada achha laga

यह कविता जीवन के होने का और ईश्वर द्वारा दत्त इस अनुपम उपहार का हृदय की गहरीयों से धन्यवाद की कुछ पंक्तिआँ हे ।

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में नारी हूँ

नारी कौन हे क्या हे और समाज में उसका स्थान कहाँ हे

इसी संदर्भ में नारी की गरिमा तथा प्रतिस्ठा को उजागर करती हुई यह कविता समस्त नारी शक्ति को...

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Azadi kya ek swapn

आज़ादी की संदर्भ में बहत कुछ सुना पढ़ा जानाऔर माना।

जो मुझे अनुभव हुआ उसे शब्द रूप में ढालने की एक कोसिश ।

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Darna mat

जीवन अनमोल हे

और मृत्यु निश्चित

अब प्रश्न यह हे

के क्या मृत्यु के डर से

ज़िना छोड़ दें ?

इसी सन्दर्भ में यह कविता<...

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Soch ko bhi azad hone do

बंधन में घुट रहे आज आप सभी से विनम्र निवेदन हे

केवल तनया मन की नेही सोच को भी स्वतंत्र होने दें

आप पाएँगे की आप कोई भिर्न व्यक्तित्व ह...

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