Ho nirbhay man ki baat kahe
पिता या माता की अपनी संतान से क्या अपेक्षाएँ होती हैं उसी संधर्भ में लिखी गयी यह कविता ।
पिता या माता की अपनी संतान से क्या अपेक्षाएँ होती हैं उसी संधर्भ में लिखी गयी यह कविता ।
जीवन में सबको सब कुछ नेही मिलता। फिर भी जीवन को जीना होता हे । क्यूँ और केसे उसी संदर्भ में यह रचना।
यह कविता जीवन के होने का और ईश्वर द्वारा दत्त इस अनुपम उपहार का हृदय की गहरीयों से धन्यवाद की कुछ पंक्तिआँ हे ।
नारी कौन हे क्या हे और समाज में उसका स्थान कहाँ हे
इसी संदर्भ में नारी की गरिमा तथा प्रतिस्ठा को उजागर करती हुई यह कविता समस्त नारी शक्ति को...
आज़ादी की संदर्भ में बहत कुछ सुना पढ़ा जानाऔर माना।
जो मुझे अनुभव हुआ उसे शब्द रूप में ढालने की एक कोसिश ।
जीवन अनमोल हे
और मृत्यु निश्चित
अब प्रश्न यह हे
के क्या मृत्यु के डर से
ज़िना छोड़ दें ?
इसी सन्दर्भ में यह कविता<...
बंधन में घुट रहे आज आप सभी से विनम्र निवेदन हे
केवल तनया मन की नेही सोच को भी स्वतंत्र होने दें
आप पाएँगे की आप कोई भिर्न व्यक्तित्व ह...