खामोश अलविदा
आदित्य और मीरा की शादी को बस छह महीने हुए थे। हर सुबह वो उसे चाय बनाकर जगाता, और मीरा मुस्कुराकर कहती, "तुम्हारे बिना मेरी सुबह अधूरी है।"
उस...
आदित्य और मीरा की शादी को बस छह महीने हुए थे। हर सुबह वो उसे चाय बनाकर जगाता, और मीरा मुस्कुराकर कहती, "तुम्हारे बिना मेरी सुबह अधूरी है।"
उस...
अमन हर रोज़ वही कॉफ़ी शॉप में बैठता था।
जहाँ कभी रिया ने उसका हाथ पकड़ कर कहा था,
"हमेशा साथ रहेंगे, चाहे कुछ भी हो।"
...
रवि हर शाम उस पुराने पार्क में आता था, वही बेंच, वही पेड़।
तीन साल पहले यहीं उसने स्नेहा को आख़िरी बार देखा था।
वो चली गई, बिना कुछ क...
कविता
कभी सोचा था, शब्द बस शब्द होते हैं,
फिर जाना — ये ज़ख़्म भी सी सकते हैं।
एक दर्द, जो किसी को दिखता नहीं,...