कविता
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कभी सोचा था, शब्द बस शब्द होते हैं,

फिर जाना — ये ज़ख़्म भी सी सकते हैं।

एक दर्द, जो किसी को दिखता नहीं,

वो काग़ज़ पर बहकर बन जाता है कविता

ये उन आँसुओं का आईना है,

जो चेहरा छूने से पहले ही सूख जाते हैं।

ये उन ख्वाबों की दस्तक है,

जो नींद टूटने पर भी दिल में रह जाते हैं।

हर पन्ने पर एक धड़कन लिखी होती है,

हर पंक्ति में कोई अनकही बात छुपी होती है।

और जब कोई पढ़कर चुप हो जाए,

समझो उसकी रूह से टकरा गई है ये कविता

खामोश अलविदा

आदित्य और मीरा की शादी को बस छह महीने हुए थे। हर सुबह वो उसे चाय बनाकर जगाता, और मीरा मुस्कुराकर कहती, "तुम्हारे बिना मेरी सुबह अधूरी है।"

उस...

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टूटा हुआ वादा

अमन हर रोज़ वही कॉफ़ी शॉप में बैठता था।

जहाँ कभी रिया ने उसका हाथ पकड़ कर कहा था,

"हमेशा साथ रहेंगे, चाहे कुछ भी हो।"

...

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आख़िरी ख़त

रवि हर शाम उस पुराने पार्क में आता था, वही बेंच, वही पेड़।

तीन साल पहले यहीं उसने स्नेहा को आख़िरी बार देखा था।

वो चली गई, बिना कुछ क...

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कविता

कविता

कभी सोचा था, शब्द बस शब्द होते हैं,

फिर जाना — ये ज़ख़्म भी सी सकते हैं।

एक दर्द, जो किसी को दिखता नहीं,...

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