अचार, चटनी, पापड़, मेनीक्योर, पेडिक्योर और परिवार की देखभाल कैसे करें…., यही स्त्रियों के मुद्दे नहीं हैं। आधी आबादी को हक है दुनिया के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी बात खुलकर रखने का। हेल्थ शॉट्स हिंदी पॉडकास्ट ‘कड़क चाय’ में दिमाग के इन्हीं पर्दों को उठाने आ रहीं हैं स्त्री अधिकारों की पैरोकार और एक्टिविस्ट प्रो. सुजाता। तो सुनते रहिए हर सोमवार कड़क चाय।
तयशुदा रास्तों पर चलने से बहुत अलग होता है, किसी नए रास्ते की खोज करना। ड्राइवर के बिना कभी खुद गाड़ी लेकर लंबी यात्रा पर निकलना या कभी किसी ऐसी जगह...
बात बस कपड़ों, अदाओं, घुटनों या राजनीतिक जुमलेबाजी की नहीं है, ये कुछ और मामला है। पुरुष पर बात हमेशा उसके संपूर्ण व्यक्तित्व की होती है, जबकि स्त्...
निर्भया के अपराधियों को फांसी की मांग से लेकर वैवाहिक बलात्कार तक, कई बार बढ़ती बहस के बीच कोई अचानक बोल पड़ता है, ‘नॉट ऑल मैन’, यानी सब पुरुष ऐसे नह...
सेक्स किन्हीं भी दो व्यक्तियों का नितांत निजी मामला है। पर इसमें दोनों की सहमति और आनंद मायने रखता है। वह रूठ न जाए, वह किसी और को न चाहने लग जाए, ...
शरीर के माप से लेकर कॅरियर, शादी और बच्चे पैदा करने की उम्र तक यहां बहुत सारे फ्रेम सेट कर दिए गए हैं, जो ये बताते हैं कि क्या सही है और क्या नहीं।...