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मैं हूँ बाबा झुमरू और आज एक भारी ज्ञान पेलता हूँ
जो गिरते हैं वही तो उठते हैं
वरना जो खड़े रहते हैं
वो बस गिलास पकड़ते हैं
ज़िंदगी नहीं
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