GEETA Upma wardhan Gita
Share:

Listens: 9148

About

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिः भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदा आत्मानं सृजामि अहम् | परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुस्-कृताम्, धर्म-संस्थापन-अर्थाय सम्भवामि युगे युगे

श्रीमद्भगवद्गीताके तीसरे अध्याय " कर्म योग "की सरल व्याख्या

गीता के तृतीय अध्याय के पाठ से  पितरों का उद्धार होता है। काशी जाने का जो प्रयोजन होता है, वह प्रयोजन गीता के तृतीय अध्याय के पाठ से भी सिद्ध हो जाता ...
Show notes

श्रीमद्भगवद्गीताके तीसरे अध्यायका माहात्म्य

दोस्तों श्रीमद्भागवत गीता के माहात्म्य का बहुत ही बडा महत्व है, इस माहात्म्य में अनेकों संदेश छिपे हुए है ,अनेकों रहस्य छुपे हुए है,  जिसका अध्ययन...
Show notes