आओ मिलते हैं कुछ ऐसे किरदारों से जो अकेले हैं, यारों के यार हैं, यात्री हैं और सदियों से पड़े पत्थर भी हैं। इससे पहले अमित ओहलाण के दो हिंदी उपन्यास प्रकाशित हैं। आप उन्हें अमेजन या आधार प्रकाशन से सीधे मंगवा सकते हैं। 1. मेरा यार मरजिया https://www.amazon.in/Mera-Yaar-Marzia-Amit-Ohlan/dp/8176755648 2. सुल्फ़ी यार https://www.amazon.in/Sulfi-Yaar-Amit-Ohlan/dp/8195134475