Miscellaneous
पिछले कुछ दिनों में life में काफी उतार चढ़ाव आए हैं या फिर ये भी कहा जा सकता है की सिर्फ उतार आए हैं,ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया था।एक शख़्स जो कुछ महने पहले हमेशा साथ रहेगा केह रहा था, महीने पहले किसी और के लिए छोड़ गया। बिना ये सोचे की मुझ पर क्या गुजरेगा। उसने कहा कि बस अब वो नहीं रह सकती और चली गई।मानने की नाकाम कोशिश की मैंने पर उसने ना मानने का मन बना लिया था और उसने अपने मन की करी और चली गई। उसके जाने के बाद सब अजीब सा लग रहा था मतलब अधूरा सा लगने लगा, रोना चाह रहा था पर रो भी पा रहा था आवज गले तक आ कर दब सी जाती थी। दोस्तो ने काफी साथ दिया ऐसे समय में पर कुछ देर के लिए तो लगता था कि सब ठीक है पर जैसे हीं अकेला होता उसकी यादों से घिर जाता, उसके वापिस आ जाने की उम्मीद करता, भले हीं मै अपने दोस्तो को केह चुका था कि अगर वो वापिस मेरे Life में आना चाहेगी भी तो मै मना कर दूंगा। अपने बेस्ट फ्रेंड से घंटो बात करता और दबी हुई आवाज में उसे बताता की क्या महसूस कर रहा हूं कई बार बता देता और जब नहीं बता पाता तो रो देता था।दोस्त अपनी और से हर बार मोटिवेट करता और समझता पर जैसे हीं फोन कटता और फिर मै अकेला होता और फिर पुरानी यादों मै कैद हो जाता। ऐसा नहीं था कि मै अपनी ओर से कोशिश नहीं करता था कि मुझे उसकी याद ना आए। मै खुद को अपने काम में व्यस्त रखने की कोशिश करता, फिल्में देखता, बाहर घूमने जाता पर होता ये था कि जो भी करता था उसमे भी उसके बारे में सोचता रहता था। और ये कोशिश महीने से कर रहा हूं कि ना आए मुझे उसकी याद, पर कोशिश नाकाम रहती है। मै जबरदस्ती अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखता था ताकि किसी को पता ना चले कि मै ठीक नहीं हूं। वैसे इतना कुछ होने के बाद भी मुझे उस से कोई शिकायत नहीं है बस एक उम्मीद है सब ठीक हो जाएगा। पर फिर सोचता हूं कि इतना होने के बाद भी सब ठीक हो भी जाए तो क्या वो सच में ठीक होना कहलाएगा? जवाब चाहूंगा अगर आपके पास हो तो ! :- Karan Verma