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किसी भी बिज़नस कि प्राफिटबिलिटी को समझने के लिए फ़ंडामेंटल एनालिसिस का इस्तेमाल किया जाता है। अगर कोई इन्वेस्टर लम्बे समय के लिए मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहता है, तो उसको उस बिज़नेस को ठीक से समझना जरूरी होता है, जिसमें वह इन्वेस्ट कर रहा है।
फ़ंडामेंटल एनालिसिस बिज़नेस को कई तरफ से देखने और समझने में मदद करती है। इन्वेस्टर के लिए ज़रूरी है कि वो अपने स्टॉक से संबंधित बिज़नेस के कामकाज पर नज़र रखे। फ़ंडामेंटल तौर पर मज़बूत कंपनियों के शेयर की क़ीमत समय के साथ बढ़ती है और इन्वेस्टर को फ़ायदा होता है।
फ़ंडामेंटल एनालिसिस को समझने के लिए इंडियन मार्केट के उदाहरण
इंडियन मार्केट में ऐसे कई इग्ज़ैम्पल हैं जैसे:
1. इनफ़ोसिस
2. TCS
3. पेज इंडस्ट्री
4. आयशर मोटर्स
5. बॉश इंडिया
6. नेस्ले इंडिया
इनमें से हर कंपनी ने दस साल से ज़्यादा समय तक ऐव्रिज 20% से ज़्यादा का कम्पाउंड ऐन्यूअल रिटर्न यानि CAGR दिया है। इसे समझने के लिए कह सकते है कि इनमें पैसा लगाने वाले हर इन्वेस्टर का पैसा 3.5 साल में डबल हो रहा था।
कंपनी कि CAGR रिटर्न जितनी ज़्यादा मजबूत होगी, आपकी इंवेसटेड पूँजी उतनी ही तेज़ी से बढ़ेगी। ऊपर बताई गई लिस्ट में से बॉश इंडिया जैसी कुछ कंपनियों ने तो 30% तक का CAGR भी दिया है।
अब आप यह समझ सकते है कि फ़ंडामेंटल तौर पर मज़बूत कंपनियों में इन्वेस्ट करके तेज़ी से ज़्यादा पैसा कमाया जा सकता है।
इनवेस्टमेंट से पैसा बनाने के लिए ज़रूरी है कि आप कमाई व नुक़सान कराने वाली कंपनियों के फ़र्क़ को पहचानें। कमाई कराने वाली कंपनी में कुछ गुण होते हैं जो पहचानने जरूरी है। इसी तरह पैसा डुबोने वाली कंपनियों की भी कुछ ख़ास पहचान होती है जिसे एक अच्छा इन्वेस्टर फ़ंडामेंटल एनालिसिस का प्रयोग करके पहचान लेता है।
इसलिए फ़ंडामेंटल एनालिसिस वो तकनीक है, जो आपको एक सही कंपनी को पहचान कर लम्बे समय के इनवेस्टमेंट का भरोसा देती है!
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