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शिवदास के दो बेटे थे। दोनों बेटों की शादी दो सगी बहनों से हुई - रामप्यारी और रामदुलारी। बड़ी बहू रामप्यारी का पति का देहांत हो जाता है। वह जवानी में विधवा हो जाती है। सास तो थी नहीं। ससुर शिवदास ने घर की जिम्मेदारी रामप्यारी को सौंप दी। प्यारी के घर की स्वामिनी बनने के बाद उसके जीवन में क्या-क्या मोड़ आए, कैसे उसने हालातों का सामना किया..? जानने के लिए सुनते हैं मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी - स्वामिनी ।
Munshi Premchand's story -
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