Soch ko bhi azad hone do

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Swagat Nanda poems

Society & Culture


बंधन में घुट रहे आज आप सभी से विनम्र निवेदन हे

केवल तनया मन की नेही सोच को भी स्वतंत्र होने दें

आप पाएँगे की आप कोई भिर्न व्यक्तित्व हें

जिससे आप की मुलाक़ातहो रही हे वास्तव में वही आप हैं।

आप से आप की इस मिलन की बधाई।

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