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शिविरों की सियासत: रणनीति या राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन?
क्या राजनीतिक शिविर वाकई विचारों के नवसंकेतम हैं या केवल गुटबाज़ी और शक्ति संतुलन का माध्यम बन चुके हैं? बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के भीतर चल रही ‘शिविर पॉलिटिक्स’ के निहितार्थ क्या हैं? इस बहस में हम जानेंगे कि इन बैठकों से कौन-कौन सी रणनीति निकल रही है और क्या इनसे जनता को कोई ठोस लाभ मिलता है? या यह सिर्फ आंतरिक शक्ति परीक्षण का मंच है?
Agenda Points:
* क्या शिविर अब महज़ राजनीतिक इवेंट बनकर रह गए हैं?
* इन बैठकों में लिए गए फैसलों का ज़मीनी असर कितना होता है?
* बीजेपी और कांग्रेस के शिविरों की कार्यशैली में कितना फर्क है?
* क्या शिविर से कोई नया नेतृत्व या विचार सामने आता है?
* इन बैठकों का राज्य और केंद्र की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
Host:
योगीराज योगेश जी
Panelists:
डॉ. वाणी आहलुवालिया जी - मीडिया पैनलिस्ट, मप्र भाजपा
अवनीश बुंदेला जी - प्रवक्ता, मप्र कांग्रेस
पवन वर्मा जी - वरिष्ठ पत्रकार
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