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प्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 158 साल पुरानी व्यभिचार की धारा 497 को खत्म कर दिया। कोर्ट ने कहा कि व्यभिचार अपराध नहीं है। हालांकि, यह तलाक का आधार हो सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पति, पत्नी का मालिक नहीं है। समाज जैसा चाहे महिला को वैसा ही सोचने के लिए नहीं कहा जा सकता।