सांख्य योग में आत्मा की अमरता और निष्काम कर्म: भगवद्गीता अध्याय 2 का गहन विश्लेषण

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कृष्णवाणी: गीता के 18 योग

Religion & Spirituality


कृष्णवाणी पॉडकास्ट की इस कड़ी में हम प्रस्तुत करते हैं—

सांख्य योग: आत्मज्ञान और कर्म का सिद्धांत,

जो भगवद्गीता के दूसरे अध्याय के श्लोक 21–40 पर आधारित है।

इस एपिसोड में आप जानेंगे—

आत्मा क्यों अविनाशी, नित्य और अपरिवर्तनीय है

“वस्त्र परिवर्तन” रूपक द्वारा देह–आत्मा का गहरा रहस्य

निष्काम कर्म (Karma without attachment) का शाश्वत सिद्धांत

सुख–दुःख, लाभ–हानि को समान देखने की अद्भुत शिक्षा

अर्जुन के लिए श्रीकृष्ण का चेतावनी संदेश—

कर्तव्य से भागना ही वास्तविक पाप है

यह एपिसोड बताता है कि कैसे सांख्य योग केवल युद्ध की परिस्थिति नहीं,

बल्कि हर व्यक्ति के जीवन के संघर्षों में प्रकाश देने वाला आध्यात्मिक मार्गदर्शन है।

अपने मन को स्थिर करें, हृदय को खोलें—

और प्रवेश करें श्रीकृष्ण की दिव्य शिक्षा में।

जय श्रीकृष्ण।

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