Rubaroo Roshni Hai (रुबरू रोशनी है)

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SOCH aur SAAJ

Arts


मशालों पर क्यूँ है निर्भर..इमरोज़ खुद को जला, रोशन कर..एक रोज तेरा तेज़ भी सूरज के तेज़ के आगे फीका नज़र आयेगा..जो है धुँधला सा समा आज..कल उजला सा नज़र आयेगा...