Society & Culture
एक शहर में जाने कितने क़िस्से होते हैं! कुछ क़िस्से हममें होते हैं और कुछ क़िस्सों में हम होते हैं. पटना में रहनेवाली स्वाती को कहानियां सुनना-सुनाना पसंद है. वे रोज़मर्रा की ठेठ कहानियों को पटनहिया अंदाज में सजाकर हमारे सामने ला रही हैं. स्वाती इन कहानियों के ज़रिए कुछ बेड़ियों को टटोलती हैं और उन्हें चुनौती देती हैं. पटनावाली की दूसरी क़िस्त में स्वाती हमें मिला रही हैं ‘संस्कारानंद’ से जिनकी तर्क-विद्य़ा से आपके भी होश उड़ जाएंगें. एक ट्रेनिंग के दौरान 16 साल के लड़के से हुई मुलाक़ात और उसकी परेशानी का कारण जानने के बाद यह कहना अतिश्योक्ति नहीं कि महिलाओं को अपनी पसंद का कपड़ा पहनने, बाल कटवाने या कहीं आने जाने जैसी छोटी-छोटी आज़ादियों के लिए कई सवालों का जवाब देना पड़ता है. तो सुनिए संस्कारानंद की परेशानी पर पटनावाली ने क्या जवाब दिया - सुनकर आप भी कहेंगे, ये केवल पटनावाली की कहानी नहीं, हम सभी की कहानी है...पेश है कहानी बलकट्टी परकट्टी.
---
Send in a voice message: https://anchor.fm/nirantar-trust93/message