इश्क़ की कोई परिभाषा नहीं होती, और ज़रूरी तो नहीं जो इश्क़ मुक्कमल न हुआ हो वो इश्क़ नहीं ? इस कविता में दो परदेसियों के इश्क़ की दास्ताँ मौजूद है जो अपने इश्क़ को दुनिआ को समझाना चाहते हैं | आइए और जानते है उनका क्या कहना है |
किस्से दिल के
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इश्क़ की कोई परिभाषा नहीं होती, और ज़रूरी तो नहीं जो इश्क़ मुक्कमल न हुआ हो वो इश्क़ नहीं ? इस कविता में दो परदेसियों के इश्क़ की दास्ताँ मौजूद है जो अपने इश्क़ को दुनिआ को समझाना चाहते हैं | आइए और जानते है उनका क्या कहना है |