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तुम्हारे ध्येय की शक्ति का ना कोई सार है, करुणा ममता धीरज का तुममें भाव है, प्रतिरूप हो तुम मां ,अंबे का तुम्हारे भीतर वेदना अपार है। मेरा जीवन तुमसे शुरू होना , सहस्त्र वर्षों के पुण्य का ही यह परिणाम है। --- Send in a voice message: https://anchor.fm/poetry62/message