कृष्णवाणी के आईने में गीता के 18 योग विषाद से मोक्ष तक की आत्म यात्रा

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कृष्णवाणी: गीता के 18 योग

Religion & Spirituality


यह एपिशोडद्य श्रीमद्भगवद्गीता के 18 योगों का विस्तृत परिचय देता है, जो जीवन के विभिन्न आध्यात्मिक और व्यावहारिक पहलुओं को संबोधित करते हैं। प्रत्येक "योग" एक अध्याय का प्रतिनिधित्व करता है जो आत्म-साक्षात्कार, कर्तव्य पालन, और मोक्ष प्राप्ति के विभिन्न मार्गों जैसे कर्म, ज्ञान, और भक्ति पर केंद्रित है। यह पाठ जीवन की समस्याओं के समाधान, आंतरिक शांति, और व्यक्तिगत विकास के लिए गीता के सिद्धांतों के महत्व को उजागर करता है। अंततः, यह स्रोत भारतीय संस्कृति में गीता के गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करता है, इसे नैतिकता और आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में प्रस्तुत करता है।