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(अल्लहड़ बनारसी और रमती बंजारन) जिसके (लेखक शरद दुबे) और (वक्ता RJ रविंद्र सिंह) है !
कितनी सुहानी रात थी
उस रात हुई बरसात थी
अपना शहर कि बात थी
हुई जो वो मुलाकात थी
मिले थे हम उस शहर में
कहने को कितनी बात थी
पहली जो वो मुलाकात थी
कहने को कितनी बात थी
शहर हमको जानता था
लगा हर कोई पहचाना था
पहचानते थे हम भी उसको
ना पता ये कोई जानता था
कितना वो जाना शहर था
अपना पहचाना शहर था
हर गली से पहचान थी
हम मिले थे जब इस शहर में
एक अजीब इत्तफाक था
मिलने का पहला व्यक्त था
जानना भी एक अभिव्यक्त था
वो एक अजीब सी बात थी
कितनी सुहानी रात थी