खामोश अलविदा

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कविता

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आदित्य और मीरा की शादी को बस छह महीने हुए थे। हर सुबह वो उसे चाय बनाकर जगाता, और मीरा मुस्कुराकर कहती, "तुम्हारे बिना मेरी सुबह अधूरी है।"

उस दिन भी आदित्य चाय लेकर कमरे में गया, लेकिन मीरा वहाँ नहीं थी— बस एक ख़त था: "मैं लौटकर नहीं आऊँगी… मुझे माफ़ कर देना।"

आदित्य कई दिनों तक समझ नहीं पाया कि गलती कहाँ हुई। हर कोने में मीरा की हँसी गूंजती, हर चीज़ में उसकी खुशबू थी। लेकिन सच ये था— कभी-कभी लोग बिना वजह भी छोड़ जाते हैं, और पीछे बस एक इंसान रह जाता है… जो हर रोज़ टूटकर भी जीता है।