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कविता
कभी सोचा था, शब्द बस शब्द होते हैं,
फिर जाना — ये ज़ख़्म भी सी सकते हैं।
एक दर्द, जो किसी को दिखता नहीं,
वो काग़ज़ पर बहकर बन जाता है कविता।
ये उन आँसुओं का आईना है,
जो चेहरा छूने से पहले ही सूख जाते हैं।
ये उन ख्वाबों की दस्तक है,
जो नींद टूटने पर भी दिल में रह जाते हैं।
हर पन्ने पर एक धड़कन लिखी होती है,
हर पंक्ति में कोई अनकही बात छुपी होती है।
और जब कोई पढ़कर चुप हो जाए,
समझो उसकी रूह से टकरा गई है ये कविता।