कल रास्ते मे एक बात हुई थी

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अल्हड बनारसी

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(अल्लहड़ बनारसी और रमती बंजारन) जिसके (लेखक शरद दुबे) और (वक्ता RJ रविंद्र सिंह) है  !

कल रास्ते मे एक बात हुई थी 

एक घटना मेरे साथ हुई थी

फिर रास्ते मे मुलाकात हुई थी 

एक अजनबी से बात हुई थी 

शाम भी फिर से ढली हुई थी 

रात भी हल्की चढ़ी हुई थी  

ओस कि बूंदे पडी हुई थी 

उदासी आकर खड़ी हुई थी 

अस्सी घाट पर खड़ी हुई थी 

बात भी हमसे चली हुई थी 

बात चली कुछ लंबी ही थी 

रात कटी कुछ लंबी ही थी 

रात मे सब कुछ बात हुई थी 

कैसे वो मुलाकात हुई थी 

खुशी कि जब वो बात हुई थी 

उसकी जब उससे बात हुई थी 

घाट किनारे जब वो मिली थी 

वादों कि फिर झड़ी लगी थी 

वो रात सुहानी पडी हुई थी

याद फिर ताजा पडी हुई थी 

बात जो फिर से खुली हुई थी 

कल रास्ते मे एक बात हुई थी 

एक घटना मेरे साथ हुई थ!