Society & Culture
वो चिट्ठी जो कभी नहीं आई
ज़िंदगी की भागदौड़ में हम अक्सर उन लोगों को भूल जाते हैं, जो हमारे इंतज़ार में हर रोज़ आंखें बिछाए बैठे होते हैं। एक भीड़भाड़ वाले रेलवे प्लेटफार्म पर, एक मुसाफिर की मुलाकात एक बुजुर्ग मां से होती है, जिनके कांपते हाथों में एक पुरानी चिट्ठी है—एक ऐसी चिट्ठी जिसे उन्होंने पिछले 15 सालों से हर रोज़ पढ़ा है। यह उनके बेटे की आखिरी याद है।
इस मार्मिक मुलाकात के ज़रिए हम महसूस करेंगे मां के प्यार का इंतज़ार और उस खामोशी का दर्द, जो कभी-कभी रिश्तों को दूर कर देती है।
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