कबीर वाणीः क्या भरोसा देह का, बिनस जात छिन मांह

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कबीर वाणी

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क्या भरोसा देह का, बिनस जात छिन मांह । साँस-साँस सुमिरन करो और यतन कुछ नांह ॥ इस शरीर का क्या विश्वास है यह तो पल-पल मिटता हीं जा रहा है इसीलिए अपने हर सांस पर हरी का सुमिरन करो और दूसरा कोई उपाय नहीं है