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जहां आपा तहां आपदा, जहां संशय तहां रोग । कह कबीर यह क्यों मिटे, चारों धीरज रोग ॥ जहां मनुष्य में घमंड हो जाता है उस पर आपत्तियां आने लगती हैं और जहां संदेह होता है वहां-वहां निराशा और चिंता होने लगती है । कबीरदास जी कहते हैं की यह चारों रोग धीरज से हीं मिट सकते हैं