ये सफर दिल्ली के दिल का नहीं था, चौक की चांदनी भरी सड़को की चमक का नहीं था। मालीवाड़े से लेकर किनारी बाज़ार तक के गली–कूचों का नहीं था। ये कोई देहयात्रा नहीं थी, ये तो मेरे...मेरे भीतर का सफर था । By Santosh Goyal
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ये सफर दिल्ली के दिल का नहीं था, चौक की चांदनी भरी सड़को की चमक का नहीं था। मालीवाड़े से लेकर किनारी बाज़ार तक के गली–कूचों का नहीं था। ये कोई देहयात्रा नहीं थी, ये तो मेरे...मेरे भीतर का सफर था । By Santosh Goyal