Society & Culture
ना जाने ऐसी कितनी ही कहानियाँ हैं हमारे आसपास , जिन्हें हम नज़र अंदाज़ किए चले जाते हैं, इस बात से बेखबर की हम खुद ना जाने कितनी ही कहानियों के किरदार बने बैठे हैं । क्या पता , उन कहानियों से आपकी भी कोई कहानी शुरू हो जाए । कहानियाँ, जो हर रोज़ शुरू होती है, पर कभी कहीं लिखी नहीं गई , बस बन कर रह जाती है किसी के ज़ेहन में एक धुंधली सी याद । बस इतनी सी थी ये बात ।