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हम बंदे हैं राम के
क्या राजनीति में ‘राम’ का नाम अब सिर्फ़ आस्था नहीं, एजेंडा बन गया है?
क्या ‘राम’ के नाम पर समाज की दिशा तय हो रही है या केवल सत्ता की रणनीति?
Agenda Points:
* क्या रामराज्य की अवधारणा राजनीति में फिर से लौट रही है?
* आस्था और चुनाव — दोनों के बीच की सीमाएँ कहाँ हैं?
* क्या ‘राम’ के नाम पर एकता बढ़ रही है या मतभेद गहराते जा रहे हैं?
* जनता के मन में ‘राम’ का अर्थ क्या सिर्फ़ धर्म है या एक आदर्श व्यवस्था?
Host:
योगीराज योगेश जी
Panelists:
सागर कसेरा जी – नेता, मप्र भाजपा
अमित तावरे जी – प्रवक्ता, मप्र कांग्रेस
पवन वर्मा जी – वरिष्ठ पत्रकार
पूरा पॉडकास्ट सुनें
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पूरी वीडियो देखें हमारे YouTube चैनल पर
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