ग़ज़ल 1 : वही का़तिल वही शाहिद !

Share:

Listens: 1448

Safar-e-Sukhan by Rajesh Tripathi "Raaz"

Arts


वही क़ातिल, वही शाहिद, वही मुंसिफ़ रहा मेरा

जहाँ ख़ंजर, वहीं गरदन, यही अंदाज था मेरा

मेरा पहलू, तेरा आँचल, कभी तो बेसब़ब मिलते

जहाँ मिलते, वहीं लगता, फलक से वास्ता मेरा