जब बैठे अकेले घाट पर

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अल्हड बनारसी

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(अल्लहड़ बनारसी और रमती बंजारन) जिसके (लेखक शरद दुबे) और (वक्ता RJ रविंद्र सिंह) है  !

जब बैठे अकेले घाट पर 

जब हो आखिरी रात पर 

शहर में ना हो मुलाकात पर 

मिलना तुम हमसे घाट पर 

करना आखिरी बात पर 

होगी बात हमारी घाट पर 

जब बैठे अकेले घाट पर 

जब हो आखिरी रात पर 

ना मिलेंगे हम उस बात पर 

मिले ना फिर मुलाकात पर 

ऐसी ना हो वो रात पर

गुज़री जो हम पर बात पर 

जब बैठे अकेले घाट पर 

जब हो आखिरी रात पर

लौट आना तुम मेरे पास पर 

खोजना तुम हमको घाट पर 

ना होगी पुरानी बात पर 

चलेगे हम नयी राह पर 

जब बैठे अकेले घाट पर 

जब हो आखिरी रात पर 

भूलकर पुरानी बात पर 

रिस्तों कि शुरूआत पर 

फिर से करे हम बात पर 

मिले जब हम आखिरी रात पर 

जब बैठे अकेले घाट पर 

जब हो आखिरी रात पर