Society & Culture
साबित किया है जिसने कई बार अपने अस्तित्व को हर कड़े पैमानों पर,कभी मर्यादा, कभी इज़्जत तो कभी चलती परंपरा के नामी बहानों पर। आज का एपिसोड है कुछ ख़ास, आप सभी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की ढेरों शुभकामनाएं, वैसे तो कोई एक दिन ही काफ़ी नहीं होता, हक़ की आवाज़ उठाने के लिए पर अगर एक दिन के प्रयासों से एक भी उम्मीद जगाई जा सके तो साल भर के लिए कई उम्मीदों का हौंसला बन जाने का एक उद्देश्य मिल जाता है। आपका क्या कहना है, जरूर मेरे साथ शेयर कीजिएगा।
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