Society & Culture
इतना सारा ख़र्चा करके, मेहनत करके, अपने घर का हर कोना सजाने के पीछे कितनी सारी मशक्क़त करते हैं। अपने ज़ेहनी घर के बारे में तो सोचते ही नहीं हैं। जब हम लोगों की बातों में रहते हैं। उनके दिल-ओ-दिमाग़ में रहते हैं। ऐसे तो कितने घर हैं, जिन्हें सजाने के बारे में हम सोचते ही नहीं। अब आप कहिये, हम कितने घरों में रहते हैं?
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