मिस्टर शामनाथ सिगरेट मुँह में रखे, फिर अधखुली आँखों से माँ की ओर देखने लगे, और माँ के कपड़ों की सोचने लगे। शामनाथ हर बात में तरतीब चाहते थे। घर का सब संचालन उनके अपने हाथ में था। खूँटियाँ कमरों में कहाँ लगाई जाएँ, बिस्तर कहाँ पर बिछे, किस रंग के पर्दे लगाएँ जाएँ, श्रीमती कौन-सी साड़ी पहनें, मेज किससाइज की हो... शामनाथ को चिंता थी कि अगर चीफ का साक्षात माँ से हो गया, तो कहीं लज्जित नहीं होना पडे। माँ को सिर से पाँव तक देखते हुए बोले - तुम सफेदकमीज और सफेद सलवार पहन लो, माँ। पहन के आओ तो, जरा देखूँ। ( इसी कहानी से) कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर लिखें। आपकी प्रतिक्रियाएं मेरे लिए सदा ही प्रेरणादायक होती हैं। अपनी पसंद की कहानी सुनने और सुझाव के लिए लिखें।
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कथा मंजूषा
Society & Culture
मिस्टर शामनाथ सिगरेट मुँह में रखे, फिर अधखुली आँखों से माँ की ओर देखने लगे, और माँ के कपड़ों की सोचने लगे। शामनाथ हर बात में तरतीब चाहते थे। घर का सब संचालन उनके अपने हाथ में था। खूँटियाँ कमरों में कहाँ लगाई जाएँ, बिस्तर कहाँ पर बिछे, किस रंग के पर्दे लगाएँ जाएँ, श्रीमती कौन-सी साड़ी पहनें, मेज किससाइज की हो... शामनाथ को चिंता थी कि अगर चीफ का साक्षात माँ से हो गया, तो कहीं लज्जित नहीं होना पडे। माँ को सिर से पाँव तक देखते हुए बोले - तुम सफेदकमीज और सफेद सलवार पहन लो, माँ। पहन के आओ तो, जरा देखूँ। ( इसी कहानी से) कहानी कैसी लगी, मुझे जरूर लिखें। आपकी प्रतिक्रियाएं मेरे लिए सदा ही प्रेरणादायक होती हैं। अपनी पसंद की कहानी सुनने और सुझाव के लिए लिखें।