Ep-1 : Thirteenth chapter

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AUR AAJ KE DIN

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आज देर रात यह किताब पढ़ ली जाएगी 12 अध्याय 52 सरग् 365 श्लोक और किसकी कहानी के कितने खंड किसी को नहीं पता हर पन्ना दूसरे से जुड़ा हुआ है परंतु पाठक के लिए सभी अपरिचित पन्नै बदलते तो है पर पाठक नहीं समय की सहमति से, पाठक पढ़े ना पढ़े कुछ वाक्य चाहे छूट भी गए कुछ ने पहले दूसरों की कहानी भी पढ़ने की इच्छा रखी और अनपढे़ पन्ने पलटने पर खुद की कहानी में उलझ बैठे कुछ चाह कर भी अपनी कहानी पूरी नहीं पढ़ पाए शायद जीवन ग्रंथ में से उनकी कहानी के कुछ खंड चुरा लिए गए हैं इसीलिए उनकी कहानी अधूरी समाप्त है | अधिकतर पाठक अनदेखा कर देते हैं, नई किताब की नई खुशी में पुरानी किताब का 13 वां अध्याय अनदेखा कर देते हैं तेरवा अध्याय कुछ अलग नहीं उन 365 श्लोक के शब्द सागर से निकला अमृत कलश जो पिया तो नहीं जा सकता परंतु किताब जो नई मिलने वाली है उसका आवरण बन सकता है | बिना आवरण की पुस्तक ज्यादा चलती ही कहां है और आवरण जो हो तो पुस्तक की खूबसूरती ही बढ़ती है आवरण जरूरी है | एक किताब के साथ अच्छा समय बिताने के लिए | चलो शाम हो गई देर रात तक यह भी किताब पढ़ ली जाएगी चलिए 13 वां अध्याय पढ़ते हैं अपनी अपनी किताब का कुछ समय दे ही देते हैं सारांश को | @?????? ??????