Religion & Spirituality
शिव पुराण - रूद्र संहिता अध्याय ३ : मायानिर्मित नगरमें शीलनिधिकी कन्यापर मोहित हुए नारदजी का भगवान् विष्णु से उनका रूप माँगना, भगवान् का अपने रूप के साथ उन्हें वानर का-सा मुँह देना, कन्याका भगवान को वरण करना और कुपित हुए नारद का शिवगणोंको शाप देना।
अध्याय ४ : नारदजी का भगवान् विष्णु को क्रोधपूर्वक फटकारना और शाप देना, फिर माया के दूर हो जाने पर पश्चात्तापपूर्वक भगवान् के चरणों में गिरना और शुद्धि का उपाय पूछना तथा भगवान् विष्णु का उन्हें समझा बुझाकर शिव का महात्मय जानने के लिए ब्रह्मा जी के पास जानेका आदेश और शिव के भजन का उपदेश देना।
अध्याय ५ : नारदजीका शिव तीर्थों में भ्रमण, शिवगणों को शापोद्धार की बात बताना तथा ब्रह्मलोक में जाकर ब्रह्मा जी से शिवतत्त्व के विषय में प्रशन करना।
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Here, we discuss from Shri Shiv Purana, the story of the emergence of Lord Brahma and Lord Shiva in the form of Jyotirlinga.
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