Chapter 1, Shloka 7,8 / अध्याय १ - श्लोक 7,8

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Sadhak Sanjivani / साधक संजीवनी

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अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।

नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते।।1.7।।

भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः।

अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च।।1.8।।