बसंत जब फिर आया होगा

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अल्हड बनारसी

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बसंत जब फिर आया होगा
पतझड़ से वो बतलाया होगा
जाने कि बात सुनाया होगा
पतझड़ कि जब बातें होंगी
बसंत कि आखिरी रातें होंगी
कितनी हुई जो बातें होगी
बात निकल कर आयी होगी
पतझड़ क्या कर पाया होगा
उसको  दुख ये सताया होगा
पहले बसंत होकर जाएगा
फिर पत्तों को ले जाएगा
पत्ते भी ना रुक पाएंगे
कैसे उदास रह पाया होगा
डाली देख फिर सोचा होगा
अपना दुख वो छुपाया होगा
डाली से फिर बतलाया होगा
अपना दुख वो सुनाया होगा
पत्तों कि फिर बातें होंगी
कुछ नयी शुरुआते होंगी
डाली वहॉं फिर बोली होगी