Society & Culture
बैटल ऑफ ब्लैडर” एक रेडियोलॉजिस्ट की ओपीडी डायरी से निकली सच्ची और मज़ेदार कहानी है, जहाँ अल्ट्रासाउंड से ज़्यादा चुनौती बन जाता है ‘बाथरूम का प्रेशर’। एक बुज़ुर्ग अंकल, जिनका प्रोस्टेट स्कैन होना है, बार-बार कहते हैं ‘प्रेशर बन गया’, लेकिन ब्लैडर हर बार धोखा दे देता है। कई बार लिटाने, समझाने और पानी पिलाने के बाद जो हुआ, वो डॉक्टर और स्टाफ — सबकी हँसी रोक नहीं पाया! ये कहानी दिखाती है कि मेडिकल साइंस में मशीनें भले एडवांस हों, लेकिन कभी-कभी सबसे बड़ी जंग इंसानी ब्लैडर से ही होती है!