अहंकार नहीं, विनय - Humility, not ego

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Dashlakshan Parv - Munishri Kshamasagar Ji

Society & Culture


दूसरों के गुणों के सम्मान में अगर हम आल्हाद महसूस करते हैं तो मानियेगा हमारे भीतर मृदुता-कोमलता आने शुरू हो गए हैं। 


अपने को गुणवान और श्रेष्ठ बना लो तो सम्मान अपने आप हो गया ।  


परमपूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी द्वारा उत्तम मार्दव धर्म पर दिए प्रवचन है।