Religion & Spirituality
कृष्णवाणी के इस कड़ी में में हम भगवद्गीता के प्रथम अध्याय – अर्जुनविषादयोग की शिक्षाओं को आधुनिक जीवन की चुनौतियों से जोड़कर देखते हैं।
कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर अर्जुन का मोह और नैतिक द्वंद्व आज भी हर इंसान के भीतर दोहराता है –
चाहे करियर और परिवार के बीच निर्णय लेना हो, समाज के प्रति दायित्व निभाना हो, या फिर मानसिक तनाव और अवसाद से जूझना हो।
श्रीकृष्ण का मार्गदर्शन हमें बताता है कि समाधान बाहर नहीं, बल्कि हमारे भीतर है।
आत्मज्ञान, निष्काम कर्म और धैर्य ही वह मार्ग हैं, जो आधुनिक जीवन की जटिलताओं में भी शांति और संतुलन प्रदान करते हैं।
यह एपिसोड हर श्रोता को यह सोचने के लिए प्रेरित करेगा कि कैसे अर्जुन की तरह हम भी अपने जीवन के संघर्षों का समाधान आत्मिक शक्ति से पा सकते हैं।
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इस चर्चा के आधार को विस्तार से समझने के लिये आप यह सुन सकते हैं- "अध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग" (Auidiobook)
इसे पढ़ना चाहे तो आप इस सीरिज के ईपुस्तकें पढ़ सकते हैं-"आध्यात्मिक प्रबोधन: गीता के 18 योग"
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