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एनएल चर्चा के 139वें एपिसोड में बातचीत विशेष रूप से बिहार चुनावों पर केंद्रित रही. जिसमें बीजेपी समेत अन्य पार्टियों के मेनिफेस्टो की चर्चा हुई, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों की आखिरी डिबेट, दिल्ली की बिगड़ती हुई हवा और पेरिस में पैगंबर मोहम्मद साहब के व्यंग्य चित्रों को साझा करने पर हुई टीचर की हत्या समेत कई अन्य विषयों का जिक्र हुआ.
इस बार चर्चा में रेडियो नीदरलैंड के इंडिया कंसर्न, लव मैटर्स इंडिया की सोशल मीडिया ऑफिसर और लेखिका अनु शक्ति सिंह, स्तंभकार आनंद वर्धन और न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने चर्चा की शुरुआत बिहार चुनावों में बीजेपी द्वारा मुफ्त वैक्सीन देने की घोषणा पर आनंद से सवाल करते हुए कहा, “जो महामारी की स्थिति है उसमें कोरोना वैक्सीन का बिहार के लोगों को फ्री देने का क्या मतलब है, जबकि पूरी दुनिया महामारी से ग्रस्त है. क्या म हामारी का चुनावी फायदा उठाना नाजायज है? यह कितना जरूरी मुद्दा है.”
आनंद कहते हैं, “मुझे लगता हैं यह अनावश्यक विवाद है. हम राजनीति मासूमियत के दौर में नहीं रह रहे हैं. पब्लिक हेल्थ से जुड़ा कोई वादा अगर किया जाता है तो वह स्टेट लिस्ट में आता है. दूसरी बात मेरा आकलन है कि बिहार के चुनावों में कोरोना उतना बड़ा मुद्दा नहीं है. एक समय था जब पलायन के चलते कोरोना का मुद्दा लोगों के जहन में था लेकिन अब वह मुद्दा नहीं दिख रहा.”
आनंद के मुताबिक मुफ्त में वैक्सीन की घोषणा से अन्य राज्यों में भी एक स्पर्धा बढ़ेगी और वह भी अपने यहां इसे फ्री में देने का ऐलान कर सकते हैं. राजनीतिक
चर्चा में अनु को शामिल करते हुए अतुल कहते हैं, "अगर कोई पार्टी कहे कि हम साफ़ हवा देंगे, लेकिन हवा जैसी चीज़ पर उसका कोई हक़ नहीं है. अगर महामारी जैसी स्थिति है तो इस तरह की चीज़ों का पॉलिटिकल फायदा लेना ठीक है. अगर विपक्ष के ध्यान में यह आता तो वो ऐसा कर सकते थे, लेकिन चुनाव आयोग के कुछ दिशा निर्देश बहुत साफ़ हैं कि किन चीज़ों का इस्तेमाल आप चुनाव में कर सकते हैं और किसका नहीं. आनंद कह रहे हैं कि कोरोना वायरस चुनावीं मुद्दा ही नहीं है. क्या आपको भी ऐसा लगता है?.”
इस पर अनु कहती हैं, "मैं आनंद से कुछ हद तक सहमत हूं. मुझे बीजेपी के मेनिफेस्टो का यह हिस्सा बहुत हास्यास्पद लगा. कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री ने देश के नाम संबोधन में कहा था कोरोना वैक्सीन जैसे ही आएगी, देश के हर व्यक्ति के लिए उपलब्ध होगी. क्या बिहार भारत से बाहर है कि वहां के लोगों को वैक्सीन मिलेगी और बाकी देशवासियों को नहीं. जैसा प्रधानमंत्री ने नारा दिया था कि आपदा में अवसर, वैसा ही कुछ बिहार के चुनावों में देखने को मिल रहा है.”
यहां मेघनाथ को चर्चा में शामिल करते हुए अतुल कहते हैं बिहार में रोजगार की बहुत बात की गई. आरजेडी ने कहा 10 लाख नौकरी देंगे और बीजेपी ने कहा 19 लाख रोजगार देंगे. जब लोगों ने सवाल किया कि कैसे 19 लाख रोजगार देंगे तो चालाकी दिखाते हुए उन्होंने कहा हम नौकरी नहीं देगें, हम लोगों को स्किल डेवलपमेंट करेंगे ताकि लोग खुद ही रोजगार पाने में सक्षम हो जाएंं. 15 साल सरकार में रहने के बावजूद जब उनकी सरकार नौकरी नहीं दे पाई तो अब 19 लाख का वादा करना यानि झूठ की पराकाष्ठा है.”
इस पर मेघनाथ कहते हैं, “तेजस्वी यादव ने कहा 10 लाख सरकारी नौकरी देंगे, वहीं बीजेपी ने यह नहीं बताया की कितनी नौकरी सरकारी होगी. पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में 19 लाख नौकरी देने की जो बात कही वह अलग-अलग क्षेत्रों में काम देने को मिलाकर बताया गया है. सवाल यह हैं कि इतनी बढ़ी मात्रा में सरकारी कर्मचारियों की जरूरत है भी या नहीं. आरजेडी और बीजेपी के नौकरी देने के वादे पर कहीं ना कही बीजेपी का वादा ठीक लगता है. रही बात कोरोना वैक्सीन की तो, निर्मला सीतारमण ने जो बयान दिया उससे यह संकेत मिला कि वैक्सीन जब आएगी तब सबसे पहले बिहार के लोगों को दी जाएगी, इसी वजह से यह विवाद तेज
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अनु शक्ति सिंह
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