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आज की गुफ्तुगू साहिर लुधियानवी साहब की तरफ से। सुनिए उनकी नज़्म ताजमहल और उनके जीवन के बारे मे। और सुनिए साहिर और जावेद अख्तर जी का ऐसा किस्सा जो आपको झकझोर के रख देगा ।ताज तेरे लिए इक मज़हर-ए-उल्फ़त ही सही ताज तेरे लिए इक मज़हर-ए-उल्फ़त ही सहीतुझ को इस वादी-ए-रंगीं से अक़ीदत ही सही मेरी महबूब कहीं और मिला कर मुझ से